पंचतंत्र की कहानियां
एक और पंचतंत्र कहानी जो सीखाती हे की हमें ज्यादा सपने देखने से पहले उसके ऊपर काम करना जरुरी होता है। इस पंचतंत्र की कहानी एक गरीब ब्राह्मण के बारे में बताती है।
तो चलिए सुरु करते है आज की ये पंचतंत्र की पहेली कहानी...
बच्चों के लिए लघु कथाएँ...
ब्राह्मण का सपना
बहुत समय पहले, एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था।
वह रोजी-रोटी के लिए भीख मांगता था और कभी-कभी, कई दिनों तक बिना भोजन के भी रहना पड़ता था।
एक दिन उसे आटे से भरा एक बर्तन मिला।
वह बहुत खुश था। वह बर्तन घर ले गया और उसे अपने बिस्तर के पास लटका दिया। वह बिस्तर पर लेट गया और उसके बर्तन को घूरने लगा।
उसे देकते देखते सो गया और सपने देखने लगा।
गायों के बछड़े होती हे और उसकी दूध बहुत होते हैं। वह दूध, और मक्खन और दही के साथ मिठाइयाँ बनाता हे और बाजार में बेच देता हे।
जल्द ही, वह बहुत अमीर हो जाता हे और विशाल बगीचे और फलों के बागों के साथ एक बड़ा घर भी बना देता हे।
कल्पना करते हुए कि वह बच्चों को पीट रहा था, ब्राह्मण ने अपने हाथों से हवा को पीटना शुरू कर दिया।
अचानक उसके हाथ से आटे का बर्तन चिपक गया, बर्तन टूट गया और उसकी सारी सामग्री जमीन पर बिखर गई।
ब्राह्मण ने पाया कि वह सब कुछ सपने देख रहा था।
न कोई बड़ा घर था, न कोई प्यारा सा बगीचा और न ही कोई बीवी या बच्चों, पर केवल टूटे हुए बर्तन और आटा पूरे फर्श पर बिखरे हुए थे।
Moral: हवा में महल कभी न बनाएं।
'वफादार नेवला-पंचतंत्र की कहानियां' को भी पढ़ें
धन्यवाद
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